Month: जनवरी 2019

सर्वदा परमेश्वर की एक सन्तान

कलीसिया की एक सभा के दौरान, जिसमें मैंने अपने माता-पिता के साथ भाग लिया, उस सभा के सामान्य अभ्यास के अनुसार प्रभु की प्रार्थना को एकसाथ बोलते हुए हम ने अपने हाथों को पकड़ा। जब मैं एक हाथ से अपनी माता और दूसरे हाथ से अपने पिता को पकड़े हुए थी, तो मेरे मन में एक विचार आया कि मैं सर्वदा उनकी बेटी रहूँगी। यद्यपि मैं पूरी तरह से मेरी मध्य आयु में हूँ, मुझे अभी भी “लियो और फिलिस की सन्तान” बुलाया जा सकता है। मैंने गौर किया कि मैं न केवल उनकी बेटी हूँ, परन्तु मैं सर्वदा परमेश्वर की भी सन्तान रहूँगी।  

प्रेरित पौलुस रोम की कलीसिया के लोगों को समझाना चाहता था कि उनकी पहचान परमेश्वर के परिवार में गोद लिए हुए सदस्यों पर आधारित थी (रोमियों 8:15)। क्योंकि वे आत्मा से जन्में थे (पद 14), अब उन्हें उन बातों का और दास रहने की आवश्यकता नहीं है, जो वास्तव में महत्व नहीं रखती हैं। बल्कि, पवित्र आत्मा के उपहार के द्वारा, वे “परमेश्वर के वारिस और मसीह के संगी वारिस हैं” (पद 17)।

उन लोगों के लिए जो मसीह के पीछे चलते हैं, यह क्या अन्तर पैदा करता है? बिलकुल साधारण सी बात, यह हर प्रकार का अन्तर पैदा करता है! परमेश्वर की सन्तान के रूप में हमारी पहचान हमें बुनियाद उपलब्ध करवाती है और हम स्वयं और संसार को कैसे देखते हैं, इसकी दृष्टि प्रदान करती है। उदाहरण के लिए यह जानना कि हम परमेश्वर के परिवार का हिस्सा हैं हमें, जब हम उसके पीछे चलते हैं, अपने आराम से बाहर आने में सहायता करता है। हम दूसरों की सहमति खोजने से भी स्वतन्त्र हो जाते हैं।

आज, क्यों न हम इस बात पर मनन करें की परमेश्वर की सन्तान होने का क्या अर्थ है?

सृष्टि का गीत

ध्वनि सम्बन्धी खगोल विद्या प्रयोग करने के द्वारा वैज्ञानिक अन्तरिक्ष की ध्वनियों और स्पंदनों की निगरानी कर और उन्हें सुन सकते हैं। उन्होंने पाया है कि रात के रहस्यमय आकाश में सितारे चुपचाप चक्कर नहीं लगाते हैं, अपितु इसके स्थान पर संगीत पैदा करते हैं। जैसे हम्पबैक व्हेल्स ध्वनि उत्पन्न करती हैं, तारों की गूँज तरंग आयाम या आवृति में होती है, जिसे मानवीय कानों के द्वारा सुना नहीं जा सकता है। परन्तु सितारों और व्हेल और अन्य प्राणियों का संगीत एक सिम्फनी की रचना करते हैं, जो परमेश्वर की महानता का ब्यान करती है।      

भजन संहिता 19:1-4 कहता है, “आकाश परमेश्‍वर की महिमा का वर्णन कर रहा है; और आकाशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है। न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहाँ उनका शब्द सुनाई नहीं देता है। उनका स्वर सारी पृथ्वी पर गूँज गया है, और उनके वचन जगत की छोर तक पहुँच गए हैं।”

नया नियम में, प्रेरित पौलुस प्रदर्शित करता है कि यीशु में “सारी वस्तुओं की सृष्‍टि हुई, स्वर्ग की हों अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी... सारी वस्तुएँ उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं।” (कुलुस्सियों 1:16)। प्रत्युत्तर में, प्राकृतिक जगत की ऊंचाई और गहराई इसके सृष्टिकर्ता के लिए गाती है। परमेश्वर करे कि हम सृष्टि के साथ मिल जाएँ और उसकी महानता के लिए गाएँ जिसने “बित्ते से आकाश का नाप किया” (यशायाह 40:12)।

आप किस ओर जा रहे हैं?

जीवन में हमारी दिशा कौन निर्धारित करता है? एकबार मैंने एक आश्चर्यजनक स्थान: मोटरसाईकिल प्रशिक्षण कोर्स, पर इस प्रश्न का उत्तर सुना। मेरे कुछ मित्र और मैं मोटरसाईकिल चलाना चाहते थे, इसलिए यह सीखने के लिए कि यह कैसे करते हैं हम ने एक क्लास ली। हमारे प्रशिक्षण के एक हिस्से को लक्ष्य निर्धारित करना कहते थे।  

“आखिरकार” हमारे निर्देशक ने कहा, “आप एक अनपेक्षित बाधा का सामना करोगे। यदि आप इसकी ओर देखते रहोगे-यदि तुम ने लक्ष्य निर्धारित किया है-तो तुम ठीक उसकी ओर जाओगे। परन्तु यदि आप ऊपर या इससे दूर देखोगे, जहाँ तुम्हें जाना है, तो तुम समान्यत: इससे बच सकते हो।” इसके बाद उसने कहा, “जिस दिशा की ओर आप देख रहे हो आप उसी ओर जाओगे।”

वह साधारण परन्तु प्रगाढ़ सिद्धांत हमारे आत्मिक जीवन पर भी लागू होता है। जब हम एक लक्ष्य को निर्धारित करते हैं-अपनी समस्याओं या संघर्षों पर केन्द्रित हो जाते हैं-तो हम अपने जीवनों को लगभग उन्हीं के चारों ओर घुमाते रहते हैं।

परन्तु पवित्रशास्त्र हमें अपनी कठिनाइयों से दूर उस व्यक्ति की ओर देखने के लिए प्रोत्साहित करता है, जो उनमें हमारी सहायता कर सकता है। भजन संहिता 121:1 में हम पढ़ते हैं, “मैं अपनी आँखें पर्वतों की ओर लगाऊंगा, मुझे सहायता कहाँ से मिलेगी?” फिर भजन संहिता उत्तर देती है: “मुझे सहायता यहोवा की ओर से मिलती है, जो आकाश और पृथ्वी का कर्ता है...यहोवा आने जाने में तेरी रक्षा अब से लेकर सदा तक करता रहेगा” (पद 2, 8)। 

कई बार हमारी बाधाएँ अजेय प्रतीत होती हैं। परन्तु परमेश्वर हमें हमारी कठिनाइयों को हमारे नजरिये पर अधिकार रखने के स्थान पर उनसे दूर देखने में हमारी सहायता करने के लिए आमन्त्रित करता है।

प्रेम की सुन्दरता

“जाराब टपैटियो” जिसे मैक्सिको के हैट डांसर के रूप में भी जाना जाता है, में रोमांस का आनन्द होता है। इस अपबीट डांस के दौरान, पुरुष अपना टोप भूमी पर रख देता है। अन्त में एक महिला उस टोप को उठा लेती है और अपने चुम्बन के रोमांस को गुप्त रखने के लिए दोनों इस टोप के पीछे छिप जाते हैं।

यह डांस मुझे विवाह में विश्वासयोग्यता की महत्वपूर्णता का स्मरण करवाता है। नीतिवचन 5 में अनैतिकता के ऊँचे मूल्य के बारे में बात करने के पश्चात, हम पढ़ते हैं कि विवाह विशिष्ट है। “तू अपने ही कुण्ड से पानी, और अपने ही कूएँ के सोते का जल पिया करना” (पद 15)। मंच पर दस दम्पत्ति जाराब डांस करते हैं, फिर भी प्रत्येक व्यक्ति का ध्यान अपने ही साथी पर केन्द्रित रहता है। हम अपने विवाहित साथी के साथ एक गहन और अविभाजित समर्पण का आनन्द ले सकते हैं (पद 18)।

हमारे रोमांस पर भी ध्यान दिया जा रहा है। डांसर, जब वे अपने साथी के साथ आनन्द मना रहे हैं, जानते हैं कोई देख रहा है। उसी प्रकार, हम पढ़ते हैं कि “क्योंकि मनुष्य के मार्ग यहोवा की दृष्‍टि से छिपे नहीं हैं, और वह उसके सब मार्गों पर ध्यान करता है” (पद 21)। परमेश्वर हमारे विवाहों को सुरक्षित रखना चाहता है, इसलिए वह निरन्तर हमें देख रहा है। परमेश्वर करे कि हम एक दूसरे के प्रति विश्वासयोग्यता दिखाने के द्वारा उसे प्रसन्न करें।

ठीक जाराब के समान जीवन में भी एक ताल का पालन करना अनिवार्य है। जब हम उसके प्रति विश्वासयोग्य रहने के द्वारा अपने सृष्टिकर्ता के साथ ताल में रहते हैं-चाहे हम विवाहित या अविवाहित हों-हम आशीष प्राप्त करेंगे।